मानव तू अपने आप पर,
न कभी अभिमान कर.
अपने आपको ही,पहले जान ले,
क्या करेगा,इस दुनिया को जान कर.
जीवन तेरा,अनमोल है मेरे भाई,
गुटखा चबा,न शराब पी,न धूम्रपान कर.
खुदा को देखना है तो,अपने भीतर जा,
कुछ न मिलेगा तुझे,यहाँ-वहाँ खाक छान कर.
देखें नहीं मिलती तुझे,तेरी मंजिल भला कैसे,
एक बार आगे तो बढ़,कुछ करने की ठान कर.
नर है तू,कुछ तो ऐसा कर जा प्यारे,
कि तेरे अपने चलें,खुद का सीना तान कर.
सुख के झूले पर झूल पर,औरों को न भूल,
अपनी कुछ कमाई,निर्धनों को दान कर.
मिलेगी प्रभु की असीम भक्ति,
नित प्रात:-संध्या काल उनका ध्यान कर.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158
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