सोमवार, 5 जून 2017

||मैं इस मिट्टी का लाल||

ऐ तिमिर तू है,
मुरझाया सा,क्या हुआ?
क्या मेरी भावनाओं ने,
तुम्हारे हृदय को छुआ.

क्या लगी मेरी बातों से,
तुम्हें किसी तरह की ठेस.
तो रहो सावधान!क्योंकि,
ये तो है केवल श्रीगणेश.

क्योंकि अतिशीघ्र ही,
जागनेवाला है मेरा देश.
ज्ञान की जोत  जल उठी,
अब तू तनिक भी न रहेगा शेष.

समाप्त होगी अहिंसा,अनैतिकता,
शोषण अत्याचार का अंधकार.
चहुँ ओर फैलेगा सत्य,अहिंसा,
धर्म,न्याय,भाईचारा और प्यार.

यदि न कर सका ऊँचा मैं,
जन्म भूमि का भाल.
तो न कहाऊँ मैं कभी,
इस मिट्टी का लाल.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

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