गुरुवार, 8 जून 2017

||अमूल्य मानुष जीवन||

ये शै कि लोग,
कहते हैं जिसे जिंदगानी.
बस दो ही साँसों की,
है ये कहानी.
जब तक चल रही है,
तुम्हारी श्वास.
करो प्रयत्न कि हो,
पूरी तुम्हारी आस.
लक्ष्य प्राप्ति हेतु लगा दो,
तुम अपना तन-मन-धन.
नहीं मिलेगा फिर तुम्हें,
ये अमूल्य मानुष जीवन.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

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