शनिवार, 24 जून 2017

||खो न जाएँ ये तारे जमीं पर||

बाल मन बहुत कोमल होता है.
बाल्यावस्था में बच्चों के मन पर किसी भी घटना का गंभीर और दूरगामी प्रभाव पड़ता है.जहां सकारात्मक वातावरण उसके विचारों,कर्मों को उच्च बनाती है वही आस-पास का नकारात्मक विचार,भाषाऔर कर्म उसे बुरे मार्गों पर ले जा सकती है.
आजकल बच्चों के गिरते नैतिक स्तर की बड़ी चर्चा होती है.इसका कारण कहीं न कहीं हमारे आसपास का परिवेश ही है.इतिहास-पुराण इस बात के साक्षी हैं कि महान विभूतियों को बनाने में उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

बच्चे हर घटना को बड़े कौतूहल से देखते हैं.उनके मन में किसी भी विषय में जानने समझने की बड़ी उत्सुकता होती है.बच्चों को रंगों और चित्रों से बहुत अधिक लगाव होता है. इसीलिए वे  रंग-बिरंगे चित्र और सरल कहानी,कविताएं आदि पढ़कर अथवा सुनकर  खुशी से फूले नहीं समाते.बच्चों को यदि सत्मार्गी और सुसंस्कारी बनाना है तो उन्हें बाल पत्र-पत्रिकाओं सेे जरूर जोड़ें.उन्हें प्रेरक कविताएँ-कहानियां सुनाएं.इनसे उनका बौद्धिक  विकास होगा और वे मानसिक रूप से सशक्त भी बनेंगे.कविताओं-कहानियों से मिली ये नैतिक शिक्षाएँ जीवन पर उनका पथ प्रदर्शन करती रहेंगी.बचपन में बच्चों को माता पिता द्वारा जो भी बताया जाता है वे उसे सच ही मान लेते हैं.इसलिए हम उन्हें सही ज्ञान ही दें.

बेहतर है कि हम भी अपने व्यवहार को परिवर्तित करें.बच्चों को गाली देना -गाली सिखाना है. इसलिए कभी भी बच्चों के सामने अपशब्दों का प्रयोग अथवा क्रोधादि का प्रदर्शन न करें.बच्चे अपने वातावरण से कुछ न कुछ सीख ही लेते हैं,आवश्यकता है तो हमें उनके अनुरूप सकारात्मक वातावरण बनाने की.

दैनिक जीवन में बहुत अधिक व्यस्तता होने पर भी हम अपने बच्चों के साथ कुछ समय जरूर बिताएँ,उनके स्कूली होमवर्क चैक करें,उनका उत्साहवर्धन करें.
उन्हें न केवल पुस्तकीय ज्ञान प्रदान करें बल्कि साथ ही साथ मानवीय मूल्यों और नैतिकता का भी ज्ञान दें.क्योंकि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं है बल्कि मानवता के उच्च आदर्शों को प्राप्त करना है.
आइए बच्चों के लिए एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करें.उनमें मानवीय गुणों का विकास करें.क्योंकि यही भारत के भावी कर्णधार हैं..

मैं अंत में दुनिया के हर माता-पिता  के प्यारे-प्यारे और नन्हे मुन्ने बच्चों के लिए फिल्म "धूल का फूल" की दो पंक्तियाँ   कहूंगा-

"तू हिंदू बनेगा,न मुसलमान बनेगा.
इंसान की औलाद है,इंसान बनेगा."

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

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