हाथ जोड़ हम लाल तेरे,
करते तेरा वंदन.
माँ भारती करें हम,
तुम्हारा अभिनंदन.
बुद्धि दायिनी ज्ञान प्रदायिनी,
तू सबकी माता है.
जिस पर हो मां कृपा तुम्हारी,
वो सब कुछ पाता है.
माँ तुमसे ही तो जन्मा,
साहित्य संगीत और कला.
जिसने की साधना तुम्हारी,
हुआ सदा ही उसका भला.
तू है जग की आदि शक्ति,
जगवासी हैं तेरे नंदन.
हाथ जोड़ हम लाल तेरे,
करते तेरा वंदन.
माँ भारती करें हम,
तुम्हारा अभिनंदन.
मात कहो मचा क्यों,
चहुँओर ये त्राहिमाम का शोर?
आज का लोभी मानव आखिर,
चल पड़ा किस दिशा की ओर?
धँसता जा रहा वह,
नित क्षण पाप पंक में.
शरण दो माता उसे,
अपने ज्ञान अंक में.
सुनो अपने निज सुत की,
कभी करुण क्रंदन.
हाथ जोड़ हम लाल तेरे,
करते तेरा वंदन.
माँ भारती करें हम,
तुम्हारा अभिनंदन.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158
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