हो गया यदि परास्त तो,
न समझ तू स्वयं को असमर्थ.
तुम्हारी लगन तुम्हारा प्रयत्न ,
कभी भी नहीं जाएगा व्यर्थ.
फिर से हो आरूढ़,
परिश्रम के रथ पर.
बढ़ चल अनवरत,
निज कर्तव्य पथ पर.
उड़ उन्मुक्त गगन में,न बैठ यूँ,
मन को मार के,
हार भी तुझे हार पहनाएगा,
तुझ से हार के.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158
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