रविवार, 11 जून 2017

||आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम||

मेरे कई साथियों ने इस बात पर घोर आश्चर्य जताया था कि,मैं कोंडागांव के निकट रहने और साहित्यिक रुचि रखने के बावजूद वरिष्ठ साहित्यकार हरिहर वैष्णव जी से कभी मिला नहीं.पर हां,उनके अनुज और ख्यातिलब्ध लोक चित्रकार श्री खेम वैष्णव जी से मैं तीन-चार बार नगर पालिका-कोंडागांव में मिल चुका था.

काम चाहे कोई भी हो-कैसा भी हो,उसका पूरा होना मनुष्य की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है.कल ही मैंने निश्चय किया कि क्यों न आज वैष्णव जी से  मिलकर उनका आशीर्वाद लिया जाए.और संभवत: हरि-हर की कृपा से कल ही मेरी यह मनोरथ पूरी हुई.

उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क करने पर उनसे शाम 7:00 बजे मिलने का समय निश्चित हुआ.
किसी भी साहित्यकार से व्यक्तिगत रुप से मिलने का यह मेरा पहला और एकदम सुखद अनुभव रहा.

वैष्णव जी के घर की दीवारों पर टँगे हुए कई प्रशस्ति और सम्मान पत्र उनकी गौरवशाली साहित्यिक यात्रा के साक्षी हैं.साल 2014 में उन्हें छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आँचलिक साहित्य के लिए पं.सुन्दर लाल शर्मा सम्मान भी प्राप्त हुआ है.बड़ा ही सीधा व सरल व्यक्तित्व है उनका.
वे कूलर-पंखे आदि से परहेज करते हैं.इसलिए वे अधिकतर कहीं आते -जाते नहीं.उन्होंने कहा कि-"किसी के यहाँ जाकर मैं किसी को कूलर-फैन बंद करवाने का कष्ट कैसे करवा सकता हूँ?
मुझे तो उनकी यह बात बहुत ही आत्मीय और मर्मस्पर्शी लगी.

आपके सामने यदि आपके ही समान विचारधारा के शख़्सियत बैठे हों तो फिर समय के बहाव को आप भूल ही जाइए.लगभग घंटे भर तक साहित्यिक व अन्य सार्थक चर्चाएँ होती रही.कोंडागाँव के ही जयमती कश्यप जी से भी वैष्णव जी ने परिचय कराया जो महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर हैं साथ वे  की बस्तर के परगनाओं पर गहन शोध कर रहीं हैं.

वरिष्ठजनों का  सानिध्य बहुत ही सुखकर और प्रेरणादायी होता है. क्योंकि उन्होंने जीवन को हमसे बेहतर देखा-जाना और समझा है.इसलिए उनका क्षण भर का  संग भी हमें बहुत कुछ दे जाता है.
वैष्णव जी से मिलना भी मेरे लिए बहुत ही अविस्मरणीय और प्रेरणादायी रहा.उनसे पहली मुलाकात में किए गए उनके विचार-उनकी बातें,मन-मस्तिष्क में चिरस्थायी बनी रहेंगी और मेरा पथ प्रदर्शन करती रहेंगी.

ईश्वर करे कि उनका स्वास्थ्य हमेशा अच्छा बना रहे. उनका सान्निध्य,उनके उत्साहवर्धक और प्रेरक विचार सदैव हमारा पथ प्रदर्शन करते रहें.

फिलहाल तो  हरिहर वैष्णव जी से मिलने के बाद मैं अपने भीतर एक नई ऊर्जा का अनुभव कर रहा हूं और आज तो मुझे एक ही गीत गुनगुनाने का मन कर रहा है....

"मिल गए मिल गए आज मेरे सनम.
आज मेरे जमीं पर नहीं है कदम."

(संलग्न सभी तस्वीरें इंटरनेट से डाउनलोड किए गए हैं.)

✍ अशोक नेताम "बस्तरिया"
📞9407914158.

कोई टिप्पणी नहीं:

चाटी_भाजी

 बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली  हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...