मेरा वो लंगोटिया यार,
बड़े दिनों के बाद मिला.
देखते ही उसे,
मेरा मन सुमन खिला.
मैंने कहा अरे भाई,
तू बहुत दिन बाद दिखा.
अब भी तुम्हारा दिल है कोरा कागज,
या इस पर नाम,किसी का लिखा?
कहा उसने यार क्या करूं,
है मेरे दिल में एक लड़की.
पर नहीं की शादी अब तक,
क्योंकि चल रही है,अभी कड़की.
हालात से मजबूर,
और दुर्भाग्य का मारा हूं.
मेरे सभी साथी बन गए बाप,
और मैं अब तक कुंवारा हूं.
मेरे दिल में बसती है एक लड़की,
जिसका नाम है सोना.
पर कहा उसने कि शादी नहीं करुंगी तुमसे,
जब तक न मिलेगा मुझे बहुत सारा सोना.
अब कमाता हूं मैं दिन-रात,कोल्हू के बैल की तरह,
हाय!हराम हुआ मेरा जागना और सोना.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158
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