रविवार, 24 दिसंबर 2017

||तूय हुता-मैं इता||

लिखुन दिलो कसन,
हमचो किसमत लिखु बीता.
तुय रसित हुता,
आउर मँय रहेंसे इता.

दखुन तुके मँय,मन भूँय ने,
सपना चो बीजा जगालें.
बड़े होउन फर दयदे,
बलुन खुबे आस लगालें.

मान्तर नी इली तुके लेकी,
मचो उपरे दया.
गरीब मनुक के कहाँ मिरती,
बड़े लोग चो मया.

बिन पानी चो बीजा ने,
जागा बले नी फूटली.
काँच असन मचो सपना,
राँय-छूँय होउन टूटली.

अदाँय समया चो नंदी,
बोहुन खुबे आगे निकरली.
होतो,आउर नी होतो,
कहाँ मचो हाते रली.

बादर नी बरसे बलुन,
किसान कमातो के नी छाँडे.
कितरोय दुखा हवो बे,
मनुक खातो के नी छाँडे.

भूँयलीम असन पीता दुखा के,
मँय रोजे पीयेन्से.
साँगें कसन इता बिगर तुचो,
मँय कसन जियेन्से.

काय होली गलती मचो,
कि छाँडुन गेलिस लाफी.
हात जोड़ुन विनती करेन्से,
देउन देस मके तुय माफी.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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