गर्मी के दिनों में,
सूरज की धूप,
जब पड़ती है एकदम तेज.
बस्तरवासी आनन्दमग्न हो,
साल के हरे पत्तों से,
पीते हैं मण्डिया का पेज.
बस्तर में धान,कोदो,कोसरा,ज्वार,भुट्टा,
मण्डिया,उड़द,कुलथी,मूंग,अरहर,तिल,रामतिल,
अलसी,सूरजमुखी सरसों आदि धान्य,दलहन और तिलहन की फसलें ली जातीं है़.
मण्डिया का महत्व बहुत बस्तर में बहुत अधिक है.इसीलिए तो आज जब कई क्षेत्रों में कोदो,कुटकी,कोसरा लुप्तप्राय हो गए हैं वही मण्डिया आज भी घर घर में पाया जाता है.
*क्या है मण्डिया?*
मण्डिया को हिन्दी में रागी के नाम से जाना जाता है,जो सरसों के दाने के आकार का भूरे रंग का आनाज है.यह मैदानी भागों में जुलाई-अगस्त महीने में बोया जाता है.लगभग चार महीने में इसका फसल तैयार हो जाता है.
प्राय: गाँवों में इसके फसलों को काटकर-एक जगह एकत्र कर डंडे से उसकी कुटाई की जाती है,जिससे मण्डिया अलग हो जाता है,इसे छँटाई कर अलग कर लिया जाता है.
*मण्डिया का पेज:-*
वैसे तो मँडिया प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट,फाइबर का अच्छा स्त्रोत माना जाता है.इसके आटे से रोटियाँ भी बनाई जाती हैं.पर बस्तर का मण्डिया पेज बहुत प्रसिद्ध है.यह प्राय: गर्मी के दिनों में बनाया जाता है.ग्रीष्मकाल में शरीर को जल की अधिक आवश्यकता होती है और ये पेज भीषण भर्मी में तन-मन को ठंडकता का अहसास कराता है.
*कैसे बनता है मण्डिया पेज?*
वैसे बस्तर में चाउर (मुकड़ी पेज),जोंधरा,जोंधरी,कोदो,कनकी आदि के पेज बनाए जाते हैं.प्राय: हर तरह के पेज में किसी आनाज को पानी में उबालकर उसके पक जाने पर गर्म या ठंडा कर पी लिया जाता है.पर मण्डिया पेज के साथ ऐसा नहीं है.इसमें उसके आटे का प्रयोग होता है.
कटोरी भर आटे को रात भर पानी में भिगो दिया जाता है.सबेरे तक उस घोल में खटाई आ जाती है.
अब चावल को बर्तन(हाँडी)में उबाला जाता है.थोड़ा उबाल आने पर मण्डिया का घोल उस बर्तन में डालते हैं और उसे चम्मच आदि से अच्छे से हिलाया जाता है ताकि मंडिया का घोल कहीं गाढ़ा होकर जम न जाए.चावल पक जाने पर बर्तन उतार लेते हैं.
इस तरह मण्डिया का पेज तैयार हो जाता है.
*गर्मी में मण्डिया पेज का आनन्द:-*
प्राय: इसका पेज हाँडी में ही रखा जाता है,जिससे ये हमेशा ठण्डा बना रहता है.ग्रीष्मकाल में लू लगने अथवा परिश्रम से थककर चूर हो जाने ने के बाद लोग इसे पीकर अतीव आनन्द प्राप्त करते हैं.साल के पत्ते पर इसे पीना आनन्द को और बढ़ा देता है.प्राय: नमक मिर्च व प्याज के साथ इसका सेवन किया जाता है.यह स्वाद में हल्का खट्टा होता है.कम से कम दो दिन तक इसे पिया जा सकता है पर लोग तीन-चार दिनों तक इसका पीने में उपयोग करते हैं.
दूर पैदल सफर पर निकलने पर लोग अपने साथ तुमा(लौकी से निर्मित पात्र)में मण्डिया का पेज जरूर अपने साथ रखा करते हैं.
इस प्रकार मण्डिया का पेज गर्मी के दिनों में शीतल पेय का कार्य करता है.
✍अशोक नेताम "बस्तरिया"
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