तुम्हारे आने से पहले,
मेरी जिंदगी थी बदतर.
नहीं मालूम तुम हो देवता,
या हो केवल पत्थर.
लेकिन
अटूट हिस्सा हो तुम,
मेरी ज़िंदगी का.
क्या हक नहीं मुझे,
तुम्हारी बंदगी का?
अशोक नेताम "बस्तरिया"
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