रविवार, 24 दिसंबर 2017

||नी भुलका माय बाप के||

कितरोय हार हुनमन,
देव धामी के मनाला.
तेब जाउन तुमके,
सनसार ने जनमाला.

बेमार बेरा  दवइ करला,
सूजी दियाला.
अछा रहो बेटा बलुन,
रोजे गोरस पियाला.

कपड़ा-लत्ता,इस्नू-पावडर ने,
तुके सजाला.
रहुन आपुन अनपड़,
तुके इसकूल पठाला.

आया पाउन तुके जाए खमना ने,
चार-टेमरु,पान-दतुन जुहाउक.
आउर घरे भूती करे,
तुके पेट भर खोआउक.

बाबा संगे गेला,
दुनो गोदी कोड़ुक.
मसागत करला खुबे,
एकेक पयसा जोड़ुक.

महु बेचतो,भाजी टुटातो बेरा,
हुन तुके पाट बाट ओराए.
दखुन तुचो मुचकी हाँसी,
हुनचो दुख डंड पराए.

हाट जाउन आने तुचो काज,
लाई-चन्ना,आलू भजिया,पीता कांदा.
हुनी जाने कि कसन हाल ने  चुड़े,
घरे दूय टइम चो रांधा.

बाबा जाए धरुन कोड़की,
फेकुकलाय बेड़ा ने माटी.
तीती-तीती नाँगर फाँदे,
बाजे बैला टोडरा चो घाटी

हुन तुके आपलो,
कांध ने बसालो.
नाट-मंडई,जत्रा,
दसराहा दखालो.

हुनमन दिला,
तुचो उपरे धियान.
तेबे पावलिस तुय,
आज खिंडिक बले गियान.

मंदिर नी जा,पूजा नी कर,
नी कर तुय काकेय दान.
आया-बूबा चो सेवा कर,
हुनि आत तुचो भगवान.

धन कमउन-बायले पाउन,
तुमि नी भुलका माय-बाप के.
हुन मन चो जीव के दुखउन,
नी जुहावा ना तुमि पाप के.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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