रविवार, 24 दिसंबर 2017

||तुम बिन||

तुम बिन मेरा जीवन,
हो गया अब सूना.
सतत बहते हैं आँसू,
जैसे गंगा-यमुना.
लगता है जाना था कोलकाता
और,
पहुँच गया मैं पूना.
हर दिन दुख मेरा,
हो रहा दूना.
बगैर तेरे जान ही न रही बदन में,
ये रह गया केवल नमूना.
काश कि रहता मैं अपनी औकात में,
चाहा क्यूँ आसमान को छूना?

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