रविवार, 24 दिसंबर 2017

||काचोय जीव के नी कलपावा||

रात-दिन दुखा चो,
आगी ने जरेन्से.
आपलो नाती के,
पागा ने धरेन्से.
साँजे बिहाने मैें,
घरे बुता करेन्से.
पाकली केंस मचो,
होउन गेलें मैं सियान.
माय-बाप चो करा सेवा बलुन,
बाटसोत आउर के गियान.
छांडला मके मचोय बेटा-बोहारीमन,
नी देत कोनी बल धियान.
सुना तुमी सबाय बले
काय असने चे करासे?
आपलो आया-बूबा चो,
गोठ के तुमी नी धरासे?
काचोय जीव के नी कलपावा रे,
नाहलेक उफड़ुन मरासे.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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