हाँ,यह सच है
तुम असाधारण हो।
तुम वह कर सकते हो,
जो कोई नहीं कर सकता।
तुम्हें ईश्वर ने
इस संसार में भेजा,क्यों?
इस पर विचार कर कभी।
तुम भी तो उसी के अंश हो।
तुम्हारे भीतर हैं असीमित
शारीरिक-मानसिक शक्तियाँ।
क्योंकि तुम्हारे
पिता सर्वशक्तिमान हैं।
पर तुम अज्ञानता के अंधेरे में हो इसलिए
तुम्हें विस्मृत हो गई हैं
तुम्हारी शक्तियाँ।
ज्ञान दीवार के उस पार है।
दीवार लोभ,स्वार्थ-चंचलता का।
दीवार काम,क्रोध,अहंकार का।
इन दीवारों को गिराए बिना,
तुम सत्य से नहीं मिल सकोगे।
सब कुछ मिल जाने के पश्चात भी,
तुम्हारी तलाश खत्म
नहीं होगी।
परम पिता परमेश्वर से मिलकर,
तुम पूर्ण हो सकोगे।
रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
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