शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

।।मुझे जीतना ही आता है।।

साथियों नमस्कार।

दिनाँक 15/01/2017 को भारत ने इंग्लैंड को 350 रनों का विशाल स्कोर का पीछा करते हुए 3 विकेट से हराया जिसमें केदार जाधव और विराट कोहली के शानदार शतकों
की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
मेरी यह कविता विशेष रूप से भारतीय कप्तान विराट कोहली के लिए है जिन्हें शायद केवल जीतना आता है।

।।मुझे जीतना ही आता है।।

परिस्थितियों से हार मान कर,
मैंने नहीं सीखा रोना।
विजय ही भाता है मुझे,
न सीखा मैंने पराजित होना।

तन में शक्ति और यदि,
मन में है पूरा विश्वास।
तब निस्सन्देह है पूरी  होती,
मनुज की प्रत्येक आस।

कठिन श्रम, दृढ़ निश्चय कर,
धीरज कभी न खोना।
परिस्थितियों से हार मान कर,
मैंने नहीं सीखा रोना।
विजय ही भाता है मुझे,
न सीखा मैंने पराजित होना।

विरोधी करे चाहे,
कितनी ही कठिन आक्रमण।
बस याद रखो जीतना है,
तुम्हें हर हाल में रण।
तुम निर्भय हो,काम करो निज,
होगा वही जो है होना।
परिस्थितियों से हार मान कर,
मैंने नहीं सीखा रोना।
विजय ही भाता है मुझे,
न सीखा मैंने पराजित होना।

करना अगर तुम्हें भी कुछ तो,
अभी इसी समय जागो।
दृढ़ निश्चय,कठिन श्रम करो,
निद्रा आलस्य त्यागो।
तभी पूरा होगा बन्धु,
तुम्हारा सपना सलोना

परिस्थितियों से हार मान कर,
मैंने नहीं सीखा रोना।
विजय ही भाता है मुझे,
न सीखा मैंने पराजित होना।

रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
✍kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158

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