मैं तैयार हूं पूरी तरह,
आगामी दिनों के लिए।
अब तक तो जीतता आया।
अब हारूँगा किस लिए?
ज्यों-ज्यों आगे बढ़ता जाऊंगा।
गीत मैं विजय के गाऊँगा।
कुछ और बेहतर करने के लिए।
जलाए रखूँगा मैं विश्वास के दिए।
मैं विजेता,निश्चय ही जीतूंगा।
यकीं है मैं आकाश चूम लूंगा।
उनका जीना भी क्या जीना।
जो निराशा में जिए।
रचनाकार:-अशोक"बस्तरिया"
ई-मेल:-kerawahiakn@gmail.com
मो.न.9407914158
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