गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

।।ईश्वर के लिए।।

जड़-चेतन के रचनाकार।
संपूर्ण विश्व के पालन हार।

मूर्ख,निर्बल या लाचार।
हर किसी केे वे करतार।

जिनसे संचालित जग व्यापार।
जिनकी महिमा है अपरम्पार।

जिसके बिन व्यर्थ संसार।
परम दयालु,सद्गुण आगार।

मंदिर,मस्जिद,गिरिजा,गुरूद्वार।
गूंजे जिसकी जय- जयकार।

विशुद्ध,निर्विकार,निराकार।
आपको प्रणाम  मेरा बारम्बार।

रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
✍kerawahiakn86@gmail.com
Mob.9407914158

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