तूफान तो आएगा ही।
समन्दर में निकला है।
तू यहां अकेला है।
पतवार तेरे हाथ है।
पास खुदा का साथ है।
यहां से तो चला है।
जाने मंजिल तेरी कहां है?
क्या लहरों से डर जाएगा तू?
मौत से पहले मर जाएगा तू?
अगर भय है तुझे मृत्यु से,
हो जा वापिस शौक से,
किंतु याद रख।
तूफानों से जो टक्कर लेगा।
लहरों को जो परास्त करेगा।
मुश्किलों से जो टकरा जाएगा।
वही एक दिन अपनी मंजिल पाएगा।
रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
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