माँ दन्ते का यदि साथ है ।
तो भय की क्या बात है।
शंकिनी-डंकिनी का सुन्दर संगम।
प्रकृति की छटा यहाँ अनुपम।
काष्ठ निर्मित मंदिर मनभावन।
दन्तेवाड़ा धाम अति पावन।
माता की प्रतिमा श्याम रंग।
देख उठती मन में भक्ति तरंग।
उनकी आँखें हैं ममता भरी।
हैं दयामयी माँ दन्तेश्वरी।
कुछ भी नहीं जग में असंभव।
वे संग हैं तो सब कुछ संभव।
जो जस माँगे सो तस पाए।
खाली हाथ न दर से जाए।
जिन पर होती उनकी दया दृष्टि।
उन पर होती सदा प्रसन्नता की वृष्टि।
रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
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