सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

||मैं तो कठपुतली हूँ||

मैं जानता हूं कि,
मेरी जिंदगी में
बहुत बड़ी-बड़ी खुशियां नहीं है।
छोटी-छोटी बातें हैं।

फिर भी खुश रहूं तो ही बेहतर है।
मैं वही पाऊंगा जो  मैं खोजूँगा।
खुशी चाहूं और गम मिले
तो भी क्यों निराश होऊँ?
हो सकता यह ईश्वर चाहते  हों।

मैं तो एक कठपुतली हूँ।
जिसे ऊपर वाला
अपनी इच्छा अनुसार नचा रहा है।

रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
✍kerawahiakn@gmail.com
📞9407914158

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