मेरे करीब मत आओ।
तुम जब मेरे करीब आते हो,
मैं अपने बीते दिनों को याद करता हूँ।
वह एक युद्ध था।
शायद पहला और अन्तिम युद्ध मेरे जीवन का।
मेरे भावभरे कागज,
मुझे वापस कर दिए गए।
मैंने वह पुल से नीचे फेंक दिया।
धीरे-धीरे लहराते और चक्कर लगाते हुए हवा में,
वे सरिता में समा गए।
और इस तरह मेरी भावनाओं का अन्त हो गया।
इसलिए मेरे करीब मत आओ।
मेरे करीब मत आओ।
रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
E-mail:-kerawahiakn86@gmail.com
Mob.9407914158
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