अभी तो जीवन की शुरुआत है।
मुश्किलों से यह एक छोटी सी मुलाकात है।
फिर तू डरता क्यों है?
दुखद अतीत याद करता क्यों है?
असली विपत्तियां तुम पर टूटे कहां हैं।
तीर आलोचनाओं के अब तक छूटे कहां है।
मुश्किलों से भाग कर कहां जाएगा तू।
पीछा नहीं छूटेगा उनसे जहाँ भी जाएगा तू।
कठिनाईयों की कसौटी पर
समय तुझे परखेगा एक दिन।
है साहस,शक्ति,धैर्य कितना
देखेगा एक दिन।
मेरे मित्र यकीन कर तू छोटा नहीं है।
बिल्कुल खरा है तू खोटा नहीं है।
मत डर यह तो एक साधारण सी परीक्षा है।
कर्म कर फल देना न देना ईश्वर की इच्छा है।
रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
✍kerawahiakn86@gmail.com
Mob.9407914158
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें