शनिवार, 4 मार्च 2017

||दास्तान-ए-बस कंडक्टर||

बैंक मैनेजर का यह कथन कि
आपका साइन मैच नहीं हुआ.
सिर पकड़ लिया मनोज ने
वह बहुत निराश हुआ.

एक बार नहीं दो बार नहीं
तीन तीन बार सिग्नेचर किया.
पर हर बार मैनेजर ने,
उसे नकार ही दिया.

वह बोला मानें न मानें
मैं बिल्कुल सही हूँ.
मनोज की जगह खड़ा मैं
कोई दूसरा नहीं हूँ.

पर प्रबंधक ने,
मनोज की बात नहीं मानी.
जरूरत थी उसे रुपयों की,
अब बढ़ी उसकी परेशानी.

थोड़ी देर सिर पकड़कर उसने
अपना दिमाग खपाया.
अविलम्ब ही उसके मस्तिष्क में
एक जोरदार आइडिया आया.

उसने कहा एक आदमी से
ओ भाई जरा पास आना.
जब मैं साइन करूँ तब तुम
इस टेबल को जोर जोर से हिलाना.

मनोज के हस्ताक्षर करते वक्त
उस आदमी ने टेबल को हिलाया.
अब वह साइन मैनेजर ने,
बिल्कुल शत् प्रतिशत सही पाया.

चकित हो मैनेजर बोला भाई
अब आपने ये कैसे कर दिया.
बोला मनोज  मैं रोज चलती बस में
टिकट काटता हूँ न भइय्या.

रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
✍kerawahiakn86@gmail. com
📞940714158

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