शुक्रवार, 31 मार्च 2017

||बनेगा भारत एक सम्पन्न राट्र?||


देख लो,न देखा हो,
तुमने कहीं अगर.
ये है देश का,
एक महानगर.

चमचमाती,चौड़ी सड़कों पर,
फर्राटे से दौड़़तीं,ये मोटर-गाड़ियां.
चौक-चौराहों पर खड़ी,
महापुरुषों,देवताओं की मूर्तियां,

बहुत ऊँची और सुन्दर,
ये बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं.
ये स्कूल वैन में बैठकर,
पाठशाला जाते बालक-बालिकाएं.

बड़े-बड़े निजी और सरकारी,
स्कूल और अस्पताल.
फाइव स्टार होटलें,
और शॉपिंग मॉल.

निर्भीक होकर यहां बहू-बेटियां,
घूमती हैं हर जगह.
रक्षा हेतु सबकी हैं तैनात,
पुलिस भी जगह-जगह.

विशाल फ्लाईओवर,बड़े-बडे़ पुल,
दौड़तीं रेलगाड़ियां,उड़ते हुए वायुयान.
ये सभी हैं,
इस महानगर की शान.

रंग-बिरंगे फूलों से सजे,
बाग-बगीचे और ये रंगीन फव्वारे.
चिड़ियाघर,संग्रहालय,सिनेमाघर,
और भी हैं यहां,कई दिलकश नजारे.

हैं सभी के वस्त्र,
सुन्दर और चमकते हुए.
हर किसी के चेहरे भी,
प्रसन्नता से दमकते हुए.

जब से आरंभ हुई यहाँ,विकास की गति,
फिर ये कभी थमी नहीं.
लगता यहाँ किसी को,
किसी चीज की,कमी नहीं है.

भले हुआ हो किसी भी कीमत पर ,
किंतु,विकास हुआ है यहाँ बेहिसाब.
क्यों न दे दूं,मैं इस देश को ,
एक संपन्न राष्ट्र का खिताब.

पर ये तो है,
एक खूबसूरत ख्वाब.
तनिक इधर भी तो,
देखिए जनाब.

ये हैं,झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले.
शायद निर्धनता के ताप से,
हो गए हैं ये बिल्कुल काले.

एक साड़ी को फाड़ कर,इन्होंने,
बनाया है अपना आशियाना.
न कपड़ों का और न ही,
भोजन का इनके है ठिकाना.

जलाने को रोज इकट्ठा करते,
ये एक-एक सूखी लकड़ियां.
और इनके शौचालय हैं,
यही रेल की पटरियां.

दिन भर कमाकर भी जब,
इनका पेट न भरे.
फिर कहो कैसे,
ये किसी और विषय में बात करें.

किसी परिश्रमी के ही श्रम से ही,
नेता बंगलों में चैन की नींद सोते हैं.
किंतु आज भी कई लोग,
मरीजों-लाशों को अपने कंधे पर ढोते हैं.

नहीं पहुंच सकी है अब तक कई इलाकों में,
स्वास्थ्य सुविधाएँ,बिजली-सड़क-पानी.
देखकर ये,विकास की धीमी गति,
होती नहीं क्या हैरानी?

अब भी है गहरी,
समाज में विषमता की खाई.
आज भी लड़ते हैं देखो,
परस्पर भाई-भाई.

आज भी बेटियाँ,
गर्भ तक में नहीं है रक्षित.
नारियाँ अब भी,
नहीं हैं पूर्णत: सुरक्षित.

नहीं जाना चाहिए जिसे,
वह भी जा रहा मानव के पेट में.
आज का युवा वर्ग,
है दुर्दांत नशे की चपेट में.

जब न समाप्त होगा देश में,
हिंसा,अधर्म और भ्रष्टाचार.
तब तक न होगा भारत,
एक सम्पन्न राष्ट्र कहलाने का हकदार.

✍अशोक कुमार नेताम "बस्तरिया"
Email:-kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158

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