दुनिया में आया है,
तो मुश्किलों से जूझना सीख.
कुछ नहीं पाता वह,
जो चुनौतियों से डर जाता है.
काम कर जी भर,
पर थोड़ा इंतजार भी करना सीख.
बूंद- बूंद से एक दिन,
घड़ा भी भर जाता है.
हां बन खूबसूरत,
पर कभी कठोर मत बन.
क्योंकि हीरा भी,
पत्थर से टूटकर बिखर जाता है.
होते होंगे ज़िंदगी के इम्तिहान बड़े-बड़े पर,
न हो खौफ़ज़दा.
क्योंकि सोना आग में तपकर,
और भी निखर जाता है.
चाहे हिंदू हो या मुस्लिम,
या सिक्ख हो या फिर ईसाई.
मरकर हर इनसान,
एक ही खुदा के घर जाता है.
✍अशोक कुमार नेताम "बस्तरिया"
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