गुरुवार, 2 मार्च 2017

||प्रकृति की कृति||

प्रकृति की प्रत्येक कृति,
स्वयं में अद्भुत्,
उसकी हर रचना अपरम्पार।
क्या  कोई है बढ़कर जगत में,
उससे उत्तम कलाकार?

धरती बन अन्न उपजाती.
सूर्य बन प्रकाश फैलाती.
बनकर बहती नदी जल धार.

झूठे जग के सारे रिश्ते रस्में.
सब कुछ तो है उसी के बस में.
उसी से चलता है यह संसार.

रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
E-mail:-kerawahiakn86@gmail.com
Mob.9407914158

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