एदे काली चो गोठ होती असन,
आँखि ने दखा दएसे।
पीला बेरा चो गोठ मके,
खुबे सुरता अएसे।
सुरता अएसे हुन
नानी- नानी पाँय ने
ठिबिक-ठाबक रेंगतो।
डुमर फर चो गाड़ी बनातो।
नंदी धड़ी जातो,कुधुर ने बुकलतो।
आउर चिकटी माटी के आनुन
घरे टेकटर,टरक,पोंगा बनातो।
सुरता अएसे माय चो हुन
पाउन मके मंडई-हाट नेतो।
हुन आंगा,डोली,छतर, लाट।
झालर,नंगोड़ा अउर तोरी चो अवाज।
हुन देव मन चो मंडई के किंजरतो आउर
दाई-माई मन चो हुन मन उपरे
काय सुँदर चँऊर छिछतो।
नानी असन ढुटी पिला के धरुन,
आया संग महू बेचुक जातो।
महू रूक चो चीक ने हाते
करया-करया गोदना बनातो।
हुन रामी-चाची के मुंडे बसाउन,
हुन मन काजे थापा चारा खोजतो।
पीला बेरा हुन नानी बड़गी के धरुन,
गाय बयला चरउक जातो।
खमना ने बुलुन-बुलुन
बोड़ा,फुटू ,पीता कांदा खोजतो।
रुक ने चेगुन काय मंजा टेमरू,चार,चिड़ई जाम खातो।
हुन कोंडागाँव मंडई ने
आया-बाबा संगे सायकिल ने बसून गेलो।
हुन बड़े असन सिलिमा हाल,हुन अकाश झूलना।
मौत चो कुआँ अउर सरकस ने हाथि,बाग-भालू चो खेल।
हुन मचो काजे
बड़े असन धरुन दिलो फुगा
जे मचो हात ले छांडि होउन,
सीद्दा बादर ने जाउन हाजली।
हुन पीला बेरा चो समया बले,
मके हुसने चे छांडून पराली।
तेबले
एदे काली चो गोठ होती असन,
आँखि ने दखा दएसे।
पीला बेरा चो गोठ मके,
खुबे सुरता अएसे।
रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
✍kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें