सोमवार, 20 मार्च 2017

||आमचो नंगत जीवना(हल्बी)||

कुकड़ा बासली,
बिहान होली.

सोमारी उठली,
घर-दुआर के बाहरली.

सोमारू बले उठलो,
बैला मन के पैरा दिलो.

दतून करलो,मुंह धवलो.
बासी भात के खादलो.

दूय ढुका पेज पियुन,नांगर नीलो.
बेड़ा ने सोमारु सुरु करलो,
तित्ती-तित्ती,मामा-मामा.

हुन बाटे नहाउन -धोउन सोमारी.
मंडाली चुल्हा ने रांधा.

बारा बजली बेर मुंडे चेगली.

सोमरू पसना ने लतपथ फिजलो.
एदाँय होंदे काय  सोमारी अएसे,
गप्पा के बोहुन.

हुन बेड़़ा ने अमरली,
गप्पा के उतराली.
गप्पा भीतर ले निकराली,
तपलो-तपलो भात अउर,
बोड़ा चो अम्मट.
मंडया चो पेज अउर,
नोन-मीरी,गोंदरी.

नांगर के थेबाउन सोमारू,
काला माता बसलो.
काय मंजा भात खादलो,
अउर मंडया पेज के पिवलो.
डंडिक काजे बले,
जमाय दुख-डंड के भुलकुन गेलो.

सोमारू बललो सोमारी के,
सुन रे.

अमचो संगवारी ए रुक राई,
आमा,टेमरु,सरगी,चार,सिवना.
कितरो नंगत आसे,
सोमारी आमचो जीवना.

आमचो माय बाप चो छाँय ने,
ए धरती माय चो कोरा ने,
अउर तुचो मया चो बाँहा ने
जे सुख आसे नइ.
असन सुख तो सरग ने बले नी मिरे.

✍अशोक कुमार नेताम "बस्तरिया"
Email:-kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158

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