शुक्रवार, 3 मार्च 2017

।।धरती हमारी माता है।।

अन्न,जल,वस्त्र आदि सब,
भूमि से ही आता है।
सबसे बड़ी माँ तो,
हमारी धरती माता है।

धन्य इस भूमि की गौरव गाथा।
सुन आदर से झुक जाए,हर एक का माथा।
सत्य सेवा है धर्म यहाँ।
ऐसा देश कहो है और कहाँ?
भाग्यशाली होता है वह जो,
यहां जन्म पाता है।
सबसे बड़ी माँ तो,
हमारी धरती माता है।

राम,कृष्ण,राणा की ये  धरती।
तन-मन में शक्ति-साहस भरती।
गंगा-यमुना बहते जहां पावन।
नैसर्गिक सुंदरता यहां मनभावन।
इस देश का कण-कण,
जिसकी महिमा गाता है।
सबसे बड़ी माँ तो,
हमारी धरती माता है।

मर कर मुझे नव जीवन यदि कल मिले।
मां मुझे बस तेरा ही आंचल मिले।
कैसे कहूं कि कितने हैं, तुम्हारे उपकार माँ।
अपने पुत्रों पर सदा बरसाना प्यार माँ।
तुम्हें याद कर तन,
रोमांचित हो जाता है।
सबसे बड़ी माँ तो,
हमारी धरती माता है।

अन्न,जल,वस्त्र आदि सब,
भूमि से ही आता है।
सबसे बड़ी माँ तो,
हमारी धरती माता है।

रचनाकार:-अशोक"बस्तरिया"
✍kerawahiakn@gmail.com
📞9407914158

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