शुक्रवार, 24 मार्च 2017

||मेरे आंगन में खिला गुलाब देखो||

सुंदरता इसकी लाजवाब देखो.
मेरे आंगन में खिला गुलाब देखो.

सपना था कि मेरे द्वार पर भी ये फूल खिले.
मुझे इसके सौंदर्य का सुखद दीदार मिले.
पूरा हुआ मेरा वह ख्वाब देखो.
मेरे आंगन में खिला गुलाब देखो.

कांटों के बीच रहकर भी यह मुस्कुराता है.
ग़मों में भी खुश रहो सदा यही हमें बताता है.
नवयौवना सी विकसित इसका शबाब देखो.
मेरे आंगन में खिला गुलाब देखो.

हृदय में इसके हैं कई जख्म गहरे.
प्रसन्न है किंतु यह,है उन दुखों से परे .
इसकी खूबसूरती पे खुद शर्मिंदा महताब देखो.
मेरे आंगन में खिला गुलाब देखो.

सुंदरता इसकी लाजवाब देखो.
मेरे आंगन में खिला गुलाब देखो

✍अशोक कुमार नेताम "बस्तरिया"
Email:-kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158

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