एक दिन मैं कोंडागाँव के बैंक ऑफ इंडिया के ए टी एम कक्ष के भीतर रूपये निकालने गया।
भीतर एक युवती दूसरी ओर मुँह किए अपने नोट गिन रही थी।न उसने मुझे,न ही मैंने उसे देखा।किसी को नोट गिनते ध्यान से देखना और वह भी एक महिला को।ना भई ना।जाने वह क्या समझ बैठे।
पर ए टी एम से रूपये निकालते हुए मुझे एक अलग तरह के आनन्द का अनुभव हो रहा था। वह एक सुखद और अाश्चर्यजनक पल था।मैं रोमांचित हुआ जा रहा था ।
मेरा हृदय बार-बार यही कह रहा था कि यह औरत जो तुम्हारे पीछे खड़़ी है उसे तू जानता है।
मुझसे रहा न गया।मैंने पीछे पलटकर देखा पर तब तक वह ए टी एम से बाहर निकल चुकी थी।
मैं भी उसे देखने बड़ी उत्सुकता से बाहर आया।
तब तक वह अपने पति के साथ बाईक में बैठ चुकी थी।
गाड़ी स्टार्ट हुई और वे दोनों चले गये।
पर वास्तव में मेरे हृदय के संकेत असत्य नहीं थे।
जाते-जाते मैंने उस युवती के चेहरे को ग़ौर से देखा।
ये वही थी जिससे मैं कभी प्रेम करने की भूल कर बैठा था।
रचनाकार:-अशोक"बस्तरिया"
ई मेल-kerawahiakn@gmail.com
मो.नं.9407914158
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें