सोमवार, 20 मार्च 2017

||रेडियो कल और आज||

तब मैं उम्र का कच्चा था.
जब मैं चार साल का बच्चा था.
उस समय से मैं,
तुम्हें सुनता था.
और मन में कई तरह के,
सपने बुनता था.
होता था अचरज कि यह कौन,
अनजाने से राज खोल रहा है.
इस काले डिब्बे के भीतर से,
कौन बोल रहा है.

कैसे विस्मृत करुँ,
जब साथियों के संग,
मैं बैल चराने जाता था.
एक कंधे पर लटका मैं,
तुझे भी संग ले जाता था.
फिर रेडियो पर आते थे,
कई तरह की जानकारियां,
गीत और मनोरंजन के कार्यक्रम.
बैल चराते-चराते
कब सुबह से शाम हुई,
पता ही नहीं चलता था.
मुझे कभी समय देखने की,
जरूरत ही न पड़ी.
क्योंकि मेरा साथी रेडियो ही
था मेरा घड़ी.

खेतों में जब मैं हल चलाता था,
तब खेत की मेड़ से,
तुम ही मुझे गीत सुनाते थे.
बीज,खाद,सिंचाई के बारे में बताकर,
तुम मेरी उपज बढ़ाते थे.
तुम्हारे बगैर मैं सदैव अधूरा था.
और कभी अचानक ही यदि,
पानी बरस जाता था.
खुद भीगकर भी,
मैं तुम्हें छाता ओढ़ाता था.
खुद भीगते हुए भी,
तुम्हें सुरक्षित देखकर मुझे,
बहुत ही आनंद आता था.

तुमसे ही परिवर्तन हुआ,
मेरा चिंतन.
सही दिशा में हुआ अग्रसर,
मेरा व्यथित मन.
सिखाया तुमने सत्य,अहिंसा,
सेवा,प्रेम और धर्म.
और यह भी कि,
सतत करते चलो सत्कर्म.
तुमने ही कराया मुझे,
अच्छे और बुरे का ज्ञान.
तुमने ही सिखाया,
करना मुझे बड़ों का सम्मान.

होली दिवाली जैसे त्योहारों पर,
तुमने मेरी खुशियों को कई गुना बढ़ाया.
गणेश उत्सव नवरात्रि जैसे पर्वों पर,
तुमने मुझे भक्ति गीत सुनाया.

तन-मन में मेरे बहाया,
तुमने प्रेम-भक्ति का तरंग.
सुनकर तुम्हें
हर बार खुशी से झूम उठा
मेरा अंग-अंग.

तुझसे ही जाना मैंने,
प्रेम की सच्ची परिभाषा.
जगी जीवन जीने की,
एक नई आशा.
और हुई तिरोहित,
मन की सारी निराशा.

किसी के पहले प्रेम की तरह ही,
तुम मेरे रोम-रोम में समाये हो.
इसलिए मैं तुम्हें कभी भी,
विस्मृत कर नहीं सकता.

तुम्हें सुनते-सुनते
एक लंबा समय निकल गया.
मेरा बचपन,
जवानी में बदल गया.

आज मेरे घर के सामने के,
वो नीम,इमली,करंज के पेड़ न रहे.
स्कूल जाने की कच्ची सड़कें,
अब पक्की हो गईं.
बिजली घर-घर आ गई.
सब कुछ बदल गया पर,
नहीं बदले तो एक तुम.

इसीलिए तो बनकर हवा,
मेरी सांसों में बहते हो.
आज भी तुम,
मेरे हृदय में रहते हो. 
जितना लिखूँ तुम पर,
लगता है उतना ही कम है.
सच यह लिखते हुए,
आज मेरी आंखें नम हैं.

✍अशोक कुमार नेताम "बस्तरिया"
Email:-kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158

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