ओ हो रे चिंगड़ू बेटा.
जीव करेसे कि एके कोनी धरा
आउर पेटई पेटा.
जे दिन तुके हामि
जनम करलूँ.
हामि देव धामि के
खुबे सुमरलूँ.
बललूँ बड़े होउन तूय
नाम कमासे.
माय बाप चो नाव के
आगे बड़ासे.
तुके पठालूँ कोंडागाँव
काय मंजा पड़ुक आउर लिखूक.
तूय जाईस रोजे बेटा
सिलिमा दखूक.
रेंजर साइकिल धरुन
कपड़ा पिंदुन टिप टाप.
सोचलिस नहीं कसन तुके
खोवासेत माय बाप.
पैसा कौड़ी जमाय के
फोकहा उड़ालिस.
चिंगड़ू हाँडा हमके तुय
बुड़ालिस रे बुड़ालिस.
कविता का हिन्दी अनुवाद
*||चिंगड़ू बेटा हमें कहीं का न छोड़ा||*
ओह चिंगड़ू मेरे बेटे.
जी करता है कि कोई तुम्हे
पकड़कर पीटे.
जिस दिन हमने
तुम्हें जन्म दिया.
हमने देवी- देवताओं का
बहुत स्मरण किया.
सोचा कि बड़ा होकर
तुम नाम कमाओगे.
माता पिता के सिर को
ऊँचा उठाओगे.
तुम्हें भेजा हमने कोंडागाँव
कितने प्यार से पढ़ने और लिखने.
तुम जाते थे रोज बेटे
सिनेमा देखने.
रेंजर साइकिल लेकर
कपड़े पहन टिप टाप.
सोचा नहीं तुमने कैसे
पालते तुम्हें माँ-बाप.
रुपये-पैसे सब कुछ
व्यर्थ ही उड़ा दिया.
चिंगड़ू प्यारे हमको तुमने,
कहीं का नहीं छोड़ा.
रचनाकार:-अशोक "बस्तरिया"
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