मां सरस्वती,
हमें दीजिए वह ज्ञान।
कि हम करें,
सभी का सम्मान।
दूर करिए माता,
हमारे मन के विकार।
घृणा त्यागकर परस्पर,
फैलाएंँ सर्वत्र प्यार।
नर-नारी छोटे-बड़े,
न ही भेद हो धनी-निर्धन का।
सब एक ही हैं ,बाकी सब,
वहम है हमारे मन का।
आज समाज किस ओर चल पड़ा,
करें हम इसका नवनिर्माण।
मां सरस्वती,
हमें दीजिए वह ज्ञान।
कि हम करें,
सभी का सम्मान।
आरुढ़ होकर,
सत्य के पथ पर।
बढ़ें हम होकर निर्भय,
निज कर्तव्य पथ पर।
गिरे को उठाएँ और,
पीड़ितों को दें सहारा।
परसेवा परोपकार,
लक्ष्य एकमात्र हो हमारा।
मातृभूमि की सेवा में हम,
अर्पण कर दें प्राण।
मां सरस्वती,
हमें दीजिए वह ज्ञान।
कि हम करें,
सभी का सम्मान।
रचनाकार:-अशोक"बस्तरिया"
✍ kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158
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